Vriddhi Sandhi ki Paribhasha, Udaharan in Hindi: नमस्ते दोस्तों! क्या आप जानना चाहते हैं कि वृद्धि संधि क्या होता है और इसका उपयोग कहाँ होता है? यदि हाँ, तो आप बिलकुल सही जगह पर हैं। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम आपको वृद्धि संधि के बारे में सरल शब्दों में बताएंगे। यह लेख आपको वृद्धि संधि के प्रकार, परिभाषा और 100 उदाहरण से अवगत कराएगा। तो चलिए, आगे बढ़ते हैं और "वृद्धि संधि किसे कहते हैं, इसके 100 उदाहरण" को जानते हैं।
वृद्धि संधि किसे कहते हैं? (Vriddhi Sandhi Kise Kahate Hain)
वृद्धि संधि किसे कहते हैं? |
वृद्धि संधि की परिभाषा (Vriddhi Sandhi ki Paribhasha)
जब अकार (अ) या आकार (आ) के बाद ए या ऐ आते है तो दोनों के स्थान पर ऐ हो जाता है अथवा जब अकार (अ) या आकार (आ) के बाद ओ या औ आते है तो दोनों के स्थान पर औ हो जाता है, इस प्रकार के संधि को वृद्धि संधि कहते हैं।
वृद्धि संधि के 10 उदाहरण
यहां वृद्धि संधि के कुछ उदाहरण हैं जो आपको इसे और अच्छे से समझने में मदद करेंगे:
- मत + ऐक्य = मतैक्य
- सदा + एव = सदैव
- अन + एकांत = अनैकांत
- तथ + एव = तथैव
- महा + ऐश्वर्य = महैश्वार्य
- वन + ओषधि = वनौषधि
- परम + औषधि = परमौषधि
- सुंदर + ओदन = सुंदरौदन
- महा + औषधि = महौषधि
- महा + ओज = महौज
वृद्धि संधि के प्रकार
वृद्धि के निम्नलिखित प्रकार हैं:
- अ + ए = ऐ
- आ + ए = ऐ
- अ + ऐ = ऐ
- आ + ऐ = ऐ
- अ + ओ = औ
- आ + ओ = औ
- अ + औ = औ
- आ + औ = औ
वृद्धि संधि के नियम
वृद्धि संधि के मुख्य दो नियम हैं:
1. जब अकार (अ) या आकार (आ) के बाद ए या ऐ आते है तो दोनों के स्थान पर ऐ हो जाता है -
- अ + ए = ऐ
- आ + ए = ऐ
- अ + ऐ = ऐ
- आ + ऐ = ऐ
2. जब अकार (अ) या आकार (आ) के बाद ओ या औ आते है तो दोनों के स्थान पर औ हो जाता है -
- अ + ओ = औ
- आ + ओ = औ
- अ + औ = औ
- आ + औ = औ
वृद्धि संधि के 100 उदाहरण - Vriddhi Sandhi ke Udaharan
संधि विच्छेद | संधि |
---|---|
विश्व + एकता | विश्वैकता |
तत्र + एव | तत्रैव |
अघ + एव | अघैव |
एक + एक | एकैक |
प्रिय + एषी | प्रियैषी |
वित्त + एषणा | वित्तैषणा |
हित + एषी | हितैषी |
शुभ + एषी | शुभैषी |
दिन + एक | दिनैक |
धन + एषी | धनैषी |
लोक + एषणा | लोकैषणा |
पुत्र + एषणा | पुत्रैषणा |
धन + एषणा | धनैषणा |
मत + एकता | मतैकता |
धन + ऐश्वर्य | धनैश्वर्य |
देव + ऐश्वर्य | देवैश्वर्य |
जन + ऐश्वर्य | जनैश्वर्य |
मत + ऐक्य | मतैक्य |
विश्व + ऐक्य | विश्वैक्य |
ज्ञान + ऐक्य | ज्ञानैक्य |
धन + ऐक्य | धनैक्य |
परम + ऐन्द्रजालिक | परमैन्द्रजालिक |
स्व + ऐच्छिक | स्वैच्छिक |
धर्म + ऐक्य | धर्मैक्य |
लोक + ऐश्वर्य | लोकैश्वर्य |
नव + ऐश्वर्य | नवैश्वर्य |
विचार + ऐक्य | विचारैक्य |
भाव + ऐक्य | भावैक्य |
लोक + ऐक्य | लोकैक्य |
सदा + एव | सदैव |
तथा + एव | तथैव |
सर्वदा + एव | सर्वदैव |
महा + एषणा | महैषणा |
वसुधा + एव | वसुधैव |
यथा + एव | यथैव |
एकदा + एव | एकदैव |
महा + ऐश्वर्य | महैश्वर्य |
राजा + ऐश्वर्य | राजैश्वर्य |
गंगा + ऐश्वर्य | गंगैश्वर्य |
रसना + ऐन्द्रिक | रसनैन्द्रिक |
महा + ऐन्द्रजालिक | महैन्द्रजालिक |
रमा + ऐश्वर्य | रमैश्वर्य |
रसना + ऐन्द्रिय | रसनैन्द्रिय |
टिका + ऐत | टिकैत |
Vriddhi Sandhi ke 50 Udaharan
संधि विच्छेद | संधि |
---|---|
जल + ओघ | जलौघ |
परम + ओज | परमौज |
जल + ओस | जलौस |
अरण्य + ओकस | अरण्यौकस |
जल + ओक | जलौक |
उष्ण + ओदन | उष्नौदन |
परम + ओजस्वी | परमौजस्वी |
वन + ओकस | वनौकस |
वन + औषध | वनौषध |
परम + औषध | परमौषध |
वीर + औदार्य | वीरौदार्य |
मिलन + औचित्य | मिलनौचित्य |
ज्ञान + औषधि | ज्ञानौषधि |
मंत्र + औषधि | मंत्रौषधि |
जल + औषधि | जलौषधि |
प्र + औधोगिकी | प्रौधोगिकी |
परम + औपचारिक | परमौपचारिक |
परम + औदार्य | परमौदार्य |
अत्यंत + औदार्य | अत्यन्तौदार्य |
भाव + औचित्य | भावौदार्य |
देव + औदार्य | देवौदार्य |
दिव्य + औषधि | दिव्यौषधि |
परम + औत्सुक्य | परमौत्सुक्य |
पूर्व + औपनिवेशिक | पूर्वौपनिवेशिक |
तप + औदार्य | तपौदार्य |
महा + ओज | महौज |
महा + ओजस्वी | महौजस्वी |
यमुना + ओक | यमुनौक |
गंगा + ओघ | गंगौघ |
महा + ओघ | महौघ |
गंगा + ओक | गंगौक |
महा + औषधि | महौषधि |
वृथा + औदार्य | वृथौदार्य |
महा + औत्सुक्य | महौत्सुक्य |
महा + औदार्य | महौदार्य |
यथा + औचित्य | यथौचित्य |
मृदा + औषधि | मृदौषधि |
वृद्धि संधि से संबंधित प्रश्न (FAQs)
वृद्धि संधि किसे कहते हैं?
जब अकार (अ) या आकार (आ) के बाद ए या ऐ आते है तो दोनों के स्थान पर ऐ हो जाता है अथवा जब अकार (अ) या आकार (आ) के बाद ओ या औ आते है तो दोनों के स्थान पर औ हो जाता है, इस प्रकार के संधि को वृद्धि संधि कहते हैं।
वृद्धि संधि के उदाहरण क्या हैं?
वृद्धि संधि के कुछ उदाहरण:
परम + औषधि = परमौषधि
सुंदर + ओदन = सुंदरौदन
महा + औषधि = महौषधि
महा + ओज = महौज
मत + ऐक्य = मतैक्य
सदा + एव = सदैव
अन + एकांत = अनैकांत
तथ + एव = तथैव
वृद्धि संधि के नियम क्या हैं?
जब अकार (अ) या आकार (आ) के बाद ए या ऐ आते है तो दोनों के स्थान पर ऐ हो जाता है और जब अकार (अ) या आकार (आ) के बाद ओ या औ आते है तो दोनों के स्थान पर औ हो जाता है।
निष्कर्ष
इस ब्लॉग पोस्ट "वृद्धि संधि किसे कहते हैं, इसके 100 उदाहरण" में हमने वृद्धि संधि के बारे में बात की है और इसकी परिभाषा, प्रकार और 100 उदाहरण देखें। यह संधि अकार या आकार के बाद ऐ या औ आने पर व्यक्त होती है। हमने वृद्धि संधि के मुख्य नियम और उदाहरण जाने, जो इसे समझने में मदद करती हैं। यह संधि हिंदी व्याकरण में महत्वपूर्ण है और आपकी भाषा को सुंदर और व्यावहारिक बनाने में मदद करती है। हम उम्मीद करते हैं कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित हुई।
यदि आपके पास इस विषय पर कोई सवाल या सुझाव हैं, तो कृपया हमें बताएं। हमें आपकी सहायता करके खुशी महसूस करेंगे। धन्यवाद!
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