संधि और इसके सभी प्रकार हिंदी व्याकरण में एक महत्वपूर्ण विषय है। संधि का एक प्रकार व्यंजन संधि भी है, यह तब पैदा होता है जब एक व्यंजन दूसरे व्यंजन या स्वर से मिलकर विकार उत्पन्न करता है। आज के इस लेख "व्यंजन संधि किसे कहते हैं, परिभाषा और 100 उदाहरण" में हम इसी विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे। दोस्तों अगर आपको "व्यंजन संधि किसे कहते हैं, व्यंजन संधि की परिभाषा, और इसके 100 उदाहरण" जानना हैं तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।
व्यंजन संधि किसे कहते हैं?
व्यंजन संधि किसे कहते हैं |
व्यंजन संधि की परिभाषा (Vyanjan Sandhi ki Paribhasha): एक व्यंजन का दूसरे व्यंजन या स्वर से मिलने पर जो विकार या परिवर्तन पैदा होता है उसे व्यंजन संधि कहते हैं। जैसे: जगत् + नाथ = जगन्नाथ, उत + लास = उल्लास, सम् + गम = संगम।
इसका उद्देश्य शब्दों को संयोजित करके उच्चारण को सुगम बनाना है। यह संधि प्राकृतिक रूप से व्याप्त होती है और हिंदी भाषा में व्यापक रूप से प्रयोग होती है। इसके माध्यम से शब्दों का आकार, रूप, और अर्थ में परिवर्तन होता है जो उच्चारण को सुन्दर और आसान बनाता है। इस प्रकार, व्यंजन संधि व्याकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
व्यंजन संधि के 10 उदाहरण (Vyanjan Sandhi ke 10 Udaharan)
व्यंजन संधि के उदाहरण |
यहां 10 उदाहरण दिए गए हैं जो व्यंजन संधि के प्रमुख उदाहरणों को प्रदर्शित करते हैं:
- परम् + तु = परंतु
- सम् + ध्या = संध्या
- सम् + चय = संचय
- सम् + गम = संगम
- किम् + तु = किंतु
- सम् + तोष = संतोष
- सम् + घर्ष = संघर्ष
- दिक् + दर्शन = दिग्दर्शन
- दिक् + गज = दिग्गज
- दिक् + अंबर = दिगंबर
व्यंजन संधि के 100 उदाहरण
क्रम संख्या | संधि विच्छेद |
---|---|
1 | उत् + लास = उल्लास |
2 | उत् + चारण = उच्चारण |
3 | सत् + चरित्र = सच्चरित्र |
4 | उत् + छिन्न = उच्छिन्न |
5 | उत् + चरित = उच्चरित |
6 | सत् + चित् = सच्चित् |
7 | सत् + जन = सज्जन |
8 | शरत् + चंद्र = शरदचंद्र |
9 | जगत् + छाया = जगच्छाया |
10 | विपत् + जाल = विपज्जाल |
11 | जगत् + जननी = जगज्जननी |
12 | वृहत् + टीका = वृहट्टीका |
13 | उत् + ज्वल = उज्ज्वल |
14 | तत् + टीका = तट्टीका |
15 | उत् + लेख = उल्लेख |
16 | तत् + लीन = तल्लीन |
17 | उत् + डयन = उड्डयन |
18 | अहम् + कार = अहंकार |
19 | सम् + कीर्ण = संकीर्ण |
20 | वाक् + मय = वाङ्मय |
21 | जगत् + नाथ = जगन्नाथ |
22 | सत् + मार्ग = सन्मार्ग |
23 | तत् + नाम = तन्नाम |
24 | दिक् + नाग = दिङ्नाग |
25 | सत् + नारी = सन्नारी |
26 | उत् + मत्त = उन्मत्त |
27 | षट् + मास = षण्मास |
28 | उत् + नायक = उन्नायक |
29 | उत् + मित्र = सन्मित्र |
30 | चित् + मय = चिन्मय |
31 | षट् + मुख = षण्मुख |
32 | सत् + मति = सन्मति |
33 | तत् + मय = तन्मय |
34 | उत् + नयन = उन्नयन |
35 | सम् + हार = संहार |
36 | सम् + योग = संयोग |
37 | सम् + रचना = संरचना |
38 | सम् + वर्धन = संवर्धन |
39 | सम् + शय = संशय |
40 | सम् + वाद = संवाद |
41 | सम् + लाप = संलाप |
42 | सम् + वत = संवत |
43 | उत् + मेष = उन्मेष |
44 | उत् + नायक = उन्नायक |
45 | उत् + नति = उन्नति |
46 | सम् + कल्प = संकल्प |
47 | सम् + भव = संभव |
48 | सम् + गत = संगत |
49 | सम् + ताप = संताप |
50 | सम् + जय = संजय |
व्यंजन संधि के अन्य उदाहरण
क्रम संख्या | संधि विच्छेद |
---|---|
51 | सम् + चित = संचित |
52 | सम् + पूर्ण = संपूर्ण |
53 | सम् + जीवनी = संजीवनी |
54 | सम् + भाषण = संभाषण |
55 | हृदयम् + गम = हृदयंगम |
56 | किम् + कर = किंकर |
57 | किम् + चित् = किंचित् |
58 | सम् + बंध = संबंध |
59 | संधि + छेद = संधिच्छेद |
60 | स्व + छंद = स्वच्छंद |
61 | परि + छेद = परिच्छेद |
62 | वि + छेद = विच्छेद |
63 | वृक्ष + छाया = वृक्षच्छाया |
64 | आ + छादन = आच्छादन |
65 | अनु + छेद = अनुच्छेद |
66 | लक्ष्मी + छाया = लक्ष्मीच्छाया |
67 | छत्र + छाया = छत्रच्छाया |
68 | परम् + तु = परंतु |
69 | सम् + ध्या = संध्या |
70 | सम् + चय = संचय |
71 | सम् + गम = संगम |
72 | किम् + तु = किंतु |
73 | सम् + तोष = संतोष |
74 | सम् + घर्ष = संघर्ष |
75 | दिक् + दर्शन = दिग्दर्शन |
76 | दिक् + गज = दिग्गज |
77 | दिक् + अंबर = दिगंबर |
78 | वाक् + दत्ता = वाग्दत्ता |
79 | दिक् + अंत = दिगंत |
80 | वाक् + ईश = वागीश |
81 | अच् + अंत = अजंत |
82 | षट् + आनन = षडानन |
83 | सम् + लग्न = संलग्न |
84 | सम् + सार = संसार |
85 | सम् + शोधन = संशोधन |
86 | सम् + यम = संयम |
87 | सं + रक्षा = संरक्षा |
88 | सम् + रक्षण = संरक्षण |
89 | सम् + विधान = संविधान |
90 | सम् + रक्षक = संरक्षक |
91 | सम् + वहन = संवहन |
92 | सम् + युक्त = संयुक्त |
93 | सम् + स्मरण = संस्मरण |
94 | अप् + ज = अब्ज |
95 | जगत् + ईश = जगदीश |
96 | तत् + अनुसार = तदनुसार |
97 | तत् + भव = तद्भव |
98 | उत् + घाटन = उद्घाटन |
99 | सत् + भावना = सद्भावना |
100 | उत् + यम = उद्यम |
101 | भगवत् + भक्ति = भगवद्भक्ति |
102 | जगत् + अंबा = जगदंबा |
103 | सत् + धर्म = सद्धर्म |
104 | सत् + वाणी = सद्वाणी |
105 | भगवत् + भजन = भगवद्भजन |
106 | सत् + गति = सद्गति |
107 | भगवत् + गीता = भगवद्गीता |
108 | उत् + धार = उद्धार |
109 | सत् + उपयोग = सदुपयोग |
व्यंजन संधि से संबंधित प्रश्न (FAQs)
व्यंजन संधि किसे कहते हैं?
एक व्यंजन का दूसरे व्यंजन या स्वर से मिलने पर जो विकार या परिवर्तन पैदा होता है उसे व्यंजन संधि कहते हैं। उदाहरण के लिए, जगत् + नाथ = जगन्नाथ, उत + लास = उल्लास, सम् + गम = संगम।
व्यंजन संधि के 10 उदाहरण क्या हैं?
व्यंजन संधि के 10 उदाहरण: सम् + रक्षण = संरक्षण, सम् + विधान = संविधान, सम् + रक्षक = संरक्षक, सम् + वहन = संवहन, सम् + युक्त = संयुक्त, सम् + स्मरण = संस्मरण, अप् + ज = अब्ज, जगत् + ईश = जगदीश, तत् + अनुसार = तदनुसार, तत् + भव = तद्भव, और उत् + घाटन = उद्घाटन।
निष्कर्ष
संधि का एक भेद व्यंजन संधि भी है, यह तब बनता है जब एक व्यंजन दूसरे व्यंजन या स्वर से मिलकर विकार या परिवर्तन उत्पन्न करता है। आशा करते हैं कि आज का यह लेख "व्यंजन संधि किसे कहते हैं, परिभाषा और 100 उदाहरण" आपको पसंद आया और कुछ नया सीखने को मिला। इस लेख को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें ताकि उन्हें भी व्यंजन संधि के बारे में पता चलें। अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद...
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